तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया ह�
तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया ह�